फैसला जो कुछ भी हो, मंज़ूर होना चाहिए.....
जंग हो या इश्क़ हो, भरपूर होना चाहिए...!
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चले जाएगे चुप-चाप एक दिन तेरी दुनिया से....
प्यार की कदर करना किसे कहते है ये तुझे वक़्त सीखा देगा..!
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वो रूठी रहती मुझसे मंजूर था....
यार उसे समझाओ मेरी महफिल ना छोड़कर जाए..!
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कुछ ऐसे भी मिलेंगे लोग यहां,
जो सिर्फ तुम्हारे सामने ही तुम्हारे होंगे
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ना दिल के जज़्बात अलग ना मोहब्बत के अंदाज़ अलग,
थी बात तो बस लकीरों की तेरे हाथ अलग मेरे हाथ अलग
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हाथों की लकीरों पर ना जाओ ए दोस्त...
क्यूकी तकदीर तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते..!
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आखिरकार वो किसी और की हो ही गयी,
हर बात पे कहती थी छोड़ के चली जाउंगी।
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उसके बाद किसी को प्यार से ना देखा हमने....
हमें इश्क का शौक है आवारगी का नही..!!
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उसकी आँखें भी कमाल करती हैं,
ख़ामोश रहती हैं और सवाल करती हैं
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शायरों से ताल्लुक रखो तबियत ठीक रहेगी।
यह वो हकीम है,अलफ़ाज़ो से इलाज करते हैं।
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मुस्कुराहट इसलिए नहीं, कि खुशियां ज़िंदगी में ज़्यादा हैं।
मुस्कुराहट इसलिए है, कि ज़िन्दगी से न हारने का वादा हैं।
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पर्सनाल्टी कपड़ों की होगी तो लोग ‘लाइक’ करेंगें,
और विचारो की हो तो ‘फॉलो’ करेंगें।
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जुबां से माफ़ करने में ‘वक़्त’ नहीं लगता,
दिल से माफ़ करने में ‘उम्र’ बीत जाती है।
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मैंने कुछ दिन खामोश रह कर देखा....
मेरा नाम तक भूल गए हैं मेरे साथ चलने वाले..!!
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टूटी चीजों का मैं भरोसा नहीं करता मगर....
दिल तो अब भी कहता है कि तुम मेरे हो..!
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ये मोहब्बत का गणित है साहिब,
यह दो में से एक भी जाए, तो कुछ भी नहीं बचता..!!
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तेरी हालत से लगता है तेरा अपना था कोई,
वर्ना इतनी सादगी से बर्बाद कोई गैर नहीं करता..!!
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मेरे भी बहुत थे इस दुनियां में....
फिर हुआ इश्क़ और में लावारिश हो गया .!
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बहुत थक सा गया हुँ खुद को साबित करते करते...
मेरे तरीके गलत हो सकते है मगर मेरी मोहब्बत नहीं..!!
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दर्द को सजाकर पेश करना पड़ता है,
यू ही नही लोग महफिलो में तालियाँ बजाते है।
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