Tumgik
#१ पैसे के सिक्के
prayeveryday-world · 4 years
Text
कुबेर तिजोरी और डिवाइन कॉइन - पौराणिक एवं आधुनिक सिद्धांतों का अद्भुत मेल जो आपको समृद्धि दिलाएगा
हम लोग जब भी कोई नया घर बनाते हैं या कोई नया व्यवसाय शुरू करते हैं, हम हमेशा शांति और समृद्धि की ही कामना करते हैं.पर ऐसा देखा गया है कि हर व्यवसाय एक जैसी तर्रकी नहीं करता. लोग बहुत कोशिश करते हैं पर वे इच्छानुसार लाभ अर्जित नहीं कर पाते.
तो हम ऐसे लोगों के लिए एक अद्भुत एवं नए सिद्धांत की खोज की है. ताकि आप इस सिद्धांत को आसानी से अपने जीवन में अपना सकें हमने एक तिजोरी बनायीं है और उसे कुबेर तिजोरी का नाम दिया है. इस पूरी प्रक्रिया को और भी आसान और असरदार बनाने के लिए हमने तिजोरी के साथ कुछ कोइन्स (सिक्के) भी दिए हैं. ये प्रक्रिया पौराणिक एवं आधुनिक सिद्धांतों का अद्भुत मेल है जो आपको समृद्धि दिलाएगा. इस पूरी प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानेंगे इस लेख में.
 वास्तुशास्त्र के सिद्धांत
हमारे वास्तुशास्त्र में ऐसे कई सिद्धांतों का वर्णन है जो समृद्धि दिलाने में सहायक सिद्ध हुए हैं. ऐसे कई तरीके हैं जिससे आप यह पता लगा सकते हैं कि कोई विशेष स्थान आपके घर या कार्यस्थल के लिए शुभ होगी या नहीं.
अ) ज़मीन में गड्ढा कर के
१) वास्तुशास्त्र के अनुसार, जिस ज़मीन पर आप अपना घर या कार्यस्थल बनाना चाहते हैं उस पर १ फुट लम्बा, चौरा और गहरा गड्ढा खोदें. अब जो मिटटी प्राप्त हुई उससे वापस वह गड्ढा भरने कि कोशिश करें. यदि वह गड्ढा पूरा भर जाता है और फिर भी थोड़ी मिटटी शेष बच जाती है, तो वह ज़मीन आपके लिए शुभ है. यदि गड्ढा पूरा भर जाता है और मिटटी शेष नहीं बचती, तो वह ज़मीन आपके लिए ना शुभ है और ना ही अशुभ. और यदि वह गड्ढा पूरा नहीं भर पाता तो इसका मतलब वह ज़मीन अशुभ है.
२)  जिस ज़मीन पर आप अपना घर या कार्यस्थल बनाना चाहते हैं उस पर १ फुट लम्बा, चौरा और गहरा गड्ढा खोदें. शाम को उस गड्ढे को पूरा पानी से भर दें. अगले दिन प्रातः काल उस गड्ढे में थोड़ा पानी बच जाये तो वह ज़मीन शुभ है. यदि पानी नहीं बचे पर ज़मीन सूखी ना हो तो वह ज़मीन ना शुभ है ना अशुभ. परन्तु यदि पानी सूख जाये और ज़मीन भी सूख जाये तो वह ज़मीन अशुभ है.
३) जिस ज़मीन पर आप अपना घर या कार्यस्थल बनाना चाहते हैं उस पर १/२ फुट लम्बा, चौरा और गहरा गड्ढा खोदें. उस गड्ढे को पूरा पानी से भर दें. फिर उस गड्ढे से १०० कदम दूर जा कर वापस आ जाएँ. यदि पानी शेष बचा हो तो वह ज़मीन शुभ है.
ब) आय का सिद्धांत
जैसा कि हम सब जानते हैं लाभ का सीधा सम्बन्ध आय से होता है. वास्तुशास्त्र में कुल ८ प्रकार की आय बताई गयी हैं. किसी भी ज़मीन या भूखंड की आय ज्ञात करने का एक सूत्र है -
उस भूखंड के क्षेत्रफल को ८ से भाग देने पर जो शेष बचता है, वो उस भूखंड की आय निर्धारित करता है.
तो इस तरह ८ प्रकार की आय होती है जो निम्नलिखित हैं. यदि शेष बचा हुआ अंक:
१ है तो यह ध्वज आय दर्शाता है
२ है तो यह धूम्र आय दर्शाता है
३ है तो यह सिंह आय दर्शाता है
४ है तो यह श्वान आय दर्शाता है
५ है तो यह वृष आय दर्शाता है
६ है तो यह खर आय दर्शाता है
७ है तो यह गज आय दर्शाता है
८ है तो यह ध्यक्ष आय दर्शाता है
 तो इस तरह हर अंक एक आय दर्शाता है. और आय यह निर्धारित करती है वह विशेष भूखंड किस व्यवसाय के लिए उपयुक्त है. उदहारण के लिए यदि आप कोई भोजनालय बनवाना या ऐसा कोई भी व्यवसाय जिसमे अग्नि का उपयोग होता हो, तो आपको धूम्र आय वाला भूखंड लेना चाहिए. परन्तु यदि आप कपडे का व्यापार करना चाहते हैं तो धूम्र आय वाला भूखंड आपके लिए बिलकुल शुभ नहीं है.
 इस ही प्रकार यदि आपका घर या दुकान पूर्व दिशा की ओर है तो आपके लिए ध्वज आय वाला भूखंड शुभ होगा.
 स) तत्व का सिद्धांत
वास्तुशास्त्र के अनुसार इस संसार में ५ प्रकार के तत्व हैं - पृथ्वी, अग्नि, जल, आकाश और पवन. तो जिस प्रकार आय से यह निर्धारित होता है कि किस काम के लिए कैसा भूखंड उचित रहेगा उस ही प्रकार तत्व का सिद्धांत भी काम करता है. किसी भी भूखंड का तत्व ज्ञात करने के लिए निम्नलिखित सूत्र बनाया गया है:
- भूखंड के क्षेत्रफल को ८ से गुना करने के बाद जो संख्या आये उस में से ६ घटा दें. अब जो संख्या आये उसे ५ से भाग दे दें. तो इस प्रकार कुछ शेष बचेगा. जो शेष बचेगा वह आपके भूखंड का तत्व निर्धारित करेगा:
यदि ० बचता है तो भूखंड आकाश तत्व का है
यदि १ बचता है तो भूखंड पृथ्वी तत्व का है
यदि २ बचता है तो भूखंड जल तत्व का है
यदि ३ बचता है तो भूखंड अग्नि तत्व का है
और यदि ४ बचता है तो भूखंड पवन तत्व का है
 तो यदि आप राजा हैं या किसी प्रशासनिक कार्य में शामिल हैं तो आपका घर या कार्यक्षेत्र पृथ्वी तत्व का होना चाहिए. उसी प्रकार यदि आप धन लाभ चाहते हैं तो आपका कार्यक्षेत्र जल तत्व वाले भूखंड पर होना चाहिए. अग्नि तत्व हानि का प्रतीक होता है. पवन तत्व सूख लाता है एवं आकाश तत्व भ्रम पैदा करता है.
 प्रचुरता का सिद्धांत
 इस सिद्धांत के अनुसार सकारात्मक सोच और उच्च विचार आपको भौतिक प्रचुरता की और ले जाते हैं और आपको सुख एवं समृद्धि प्रदान करते हैं. आपको जो चाहिए आप उस से ज़्यादा का तस्सबुर करें तो आपको वो ज़रूर मिलेगा जो आप चाहते हैं. अमेरिका में छपी 'द सीक्रेट' पुस्तक में इस सिद्धांत का विस्तार से उल्लेख है. अपने जीवन में ऐसी सकारात्मकता और प्रचुरता के एहसास को बनाये रखने के लिए आपको कुछ उपाय करने होंगे. जैसे अपने बटुए को कभी खली मत छोड़िये. उसमे हमेशा कुछ पैसे रखा करें. इस ही प्रकार रात में किचन में कुछ खाना बचाना चाहिए. इस प्रकार से आपके मन में प्रचुरता का एहसास बना रहेगा और आप प्रचुरता को आकर्षित करेंगे.
 तो उक्त सभी सिद्धांतों का मूल यही है की कुछ शेष बचना चाहिए.
 यही मूल मंत्र आपके जीवन में भौतिक प्रचुरता लाता है. और हमारे द्वारा बनाये गए कुबेर तिजोरी और डिवाइन कोइन इस ही सिद्धांत को अपनाने में आपकी सहायता करता है. आइए देखते हैं कैसे.
 कुबेर तिजोरी एवं डिवाइन कोइन के इस्तेमाल की प्रक्रिया
 १. कुबेर तिजोरी को अपने मंदिर में स्थापित करें.
२. तिजोरी के ऊपरी तल पर दिए गए सुराख़ से डिवाइन कोइन्स को तिजोरी में डालें.
३. प्रतिदिन संध्या काल में तिजोरी के सामने दिया द्वार खोलें. आप देखेंगे की जो डिवाइन कोइन तिजोरी में थे वो बहार आ गिरेंगे. उनमे से कोई एक कोइन उठा लें और अन्य कोइन्स को वापस तिजोरी में भर कर तिजोरी का द्वार बंद कर दे.
४. अगले दिन, जो कोइन आपने पूर्व संध्या पर न��कला था, उसे अपनी जेब में रख कर काम पर जाएँ.
५. शाम को घर आते ही यह कोइन फिर से तिजोरी में दाल दें और ऊपर बताई गयी प्रक्रिया दोहराते हुए एक कोइन और उठा लें.
६. इस तरह यह प्रक्रिया प्रतिदिन करें.
 आइये अब देखते हैं कि यह प्रक्रिया आपको भौतिक प्रचुरता की ओर कैसे ले जाती है.
 कुबेर तिजोरी और प्रचुरता का सिद्धांत
 जब भी आप तिजोरी का द्वार खोलते हैं, आप कोइन्स को उसमे से बहार गिरते हुए देखते हैं. ऐसा देख कर आपको प्रचुरता का एहसास होता है. आपको लगता है की आपके पास आवश्यकता से अधिक धन है. आपको यह एहसास होता है आपके पास आर्थिक सहायता का स्त्रोत है. यह एहसास आपमें सकारात्मकता और आत्मविश्वास लाता है. जिसके चलते आप अपने कार्यक्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं. उसके बाद जब आप घर लौट कर वह कोइन वापस तिजोरी में डालते हैं, तो आपको यह एहसास होता है कि आपने जो ऋण लिया उसे समय पर चुका दिया. इस से आपमें और आत्मविश्वास आता है कि यदि कभी ऋण लेना भी पढ़ा तो आप उसे चुकाने में सक्षम होंगे.
इस प्रकार यह प्रक्रिया आपके मन में प्रचुरता का एहसास जगाती है और पौराणिक एवं आधुनिक प्रचुरता के सिद्धांतों को अपनाने में आपकी मदद करती है.
0 notes