भगवान
दिशव / 26-05-2022
-मैं स्वयं भगवान हूँ ।
-क्या बात कर रहे हैं , आप और भगवान !
-मैं घोषित करता हूँ कि मैं भगवान हूँ । मैंने सत्य जान लिया है ।
-आप पागल हैं जो स्वयं घोषित कर रहे हैं ।
-तुम पागल हो यह सत्य भी मैं जान गया हूँ ।
-स्वयं को भगवान आप कहें और पागल मैं !
-तुम किस भगवान को मानते हो ?
-श्री कृष्ण को ।
-उन्होंने स्वयं को भगवान घोषित किया या किसी गुरुकुल ने सर्टिफिकेट दी थी
कि वे भगवान हैं ?
-क्या मतलब ?
-क्या मतलब नही , जो कह रहा हूँ उसमे डूब के उत्तर दो ।
-उन्होंने स्वयं ही कहा था ।
-तो फिर मैं कह रहा हूँ तो तुमको क्या आपत्ति है ? मैं तुमसे ये तो नही कह
रहा कि मुझे भगवान मानो । बस मैं हूँ वही कह रहा ।
-मनुष्य भगवान कैसे हो सकता है ?
-बुद्ध मनुष्य थे कि भगवान ?
-मनुष्य थे । फिर ज्ञान मिला तो भगवान हो गए ।
-कैसे हो गए ?
-उन्होंने तपस्या की ।
-किसकी तपस्या की ? कृष्ण या राम नाम को तो नही भजे । फिर किसकी ?
-जिसकी भी की लेकिन वे भगवान हैं ।
-!उन्होंने स्वयं को जाना और फिर घोषणा की वे सबकुछ जान गए !
-ये तो वाकई कमाल है ।
-कुछ भी कमाल नही है । यही सत्य है । जो जान गया स्वयं को वो भगवान है ।
-आप भगवान हैं तो चमत्कार दिखाइए ।
-यहाँ सबकुछ चमत्कार है । आंख खोलके देखो । कलकल बहती नदियां , झूमता
पेड़ , खिल रहे फूल , डूबता सूरज ,सिंदूरी सी शाम , चहचहाते पंछी , कुक लगाती
कोयलिया , गुनगुनाते भवरें , पेंच लगाती बुलबुल आदि आदि । गिन नही पाओगे
तुम इतने चमत्कार विखड़े पड़े हैं यहाँ ।
-फिर भी मैं आपको भगवान मनाने को राजी नही ।
-कौन तुम्हें राजी कर रहा है । मोहम्द ने भी जब पहली दफा स्वयं को जाना और
लोगों से कही तो लोग राज़ी नही हुए । जीसस ने भी स्वयं को घोषित किया पर
लोग राजी नही हुए । तुम्हें क्या लगता है कि मैं सोचता हूँ कि तुम राजी हो जाओगे ! मैं आधुनिक भगवान हूँ । मुझे किसीको राज़ी नही करना । तुम सभी एक जैसे ही हो । मैं तनिक अधिक जान गया हूँ इसलिए फाँसी पर लटकाने का मौका ना दूंगा । मैं अत्यधिक आधुनिक भगवान हूँ ।
-मतलब कि मृत्य से डरते हैं ।
-इसे डरना नही कहते हैं बल्कि इसे मूढ़ों से स्वयं को बचाकर रखना कहते हैं ।
कृष्ण भी भागे थे । तुमने उनका नाम रणछोड़दास नही सुना है क्या । इंद्र भी
भाग खड़े होते थे ।
-आप तो मुझे पगला रहे हैं ।
-तुम पागल हो तो तुम्हें और क्या पागल बनाऊंगा । जो व्यक्ति आजतक यही
जान नही पाया कि मनुष्य ही भगवान होते हैं उससे क्या उम्मीद । तुम अर्जुन
भी नही की कुछ ज्ञान दे दूं ।
-आप भगवान हैं और यह मैंने मान लिया ।
-चलो इसी बातपर भोग के रूप में पान खिलाओ ।
-भगवान होके पान खाएंगे ! आश्चर्य ।
-क्यों ? जो जिन्हें तुम भगवान मानते हो उनको पान सुपारी नही चढ़ाते हो क्या?
सत्यनारायन कथा में धूप दीप से लेकर ताम्बूल तक भोग में देते हो । हम पान
सीधे सीधे खाएंगे ।
-आप कहें तो चादर भी चढ़ा दें ।
-हम जीते जागते भगवान हैं । जो देना है भेंट में दो । हम सदुपयोग करेंगे ।
-आशीर्वाद में क्या देंगे ?
-जो तुम करोगे वह पा लोगे ।
-आप नही कुछ देंगे प्रभु !
-मुझसे पहले यदि किसी भगवान ने यदि तुमको कुछ दी हो तो हम भी देंगे ।
-सब तो उन्हीं का दिया हुआ है । मेरा क्या है - कुछ भी तो नही ।
-कभी जीवन मे दुख हुआ है । घोर दुःख ।
-कई बार । असहनीय दुःख । लेकिन उबर उबर गया । सब उसकी कृपा से ।
-भारतीय हो !
-प्योर भारतीय ।
-फिर तो जल्दि ही तुम मेरे शरण मे आओगे ।
-आप मजाक बढ़िया करते हैं परंतु चमत्कार नही करते इसलिए शंका बनी रहेगी ।
-मैं मजाक ही तो नही करता हूँ तभी तो शंका सदियों से ज्यों का त्यों है । तुम्हारी
शंका आदिकाल से चल कर तुमतक पहुँची है । आगे भी ऐसे ही लोगों की भरमार
रहेगी इस धरती पर । निश्चिंत से शंका में जियो और शंका में मरो ।
-आप तो भलाबुरा कहने लगे और खुद को भगवान कहते हैं । पाप चढ़ेगी ।
-या तो पाप चढ़ाओ या मकान चढ़ाओ या स्वयं को ऊपर चढ़ाओ - भला बुरा करना होता है ।
-बस भी कीजिये अन्यथा हम बेहोश हो जाएंगे ।
-पहले होश तो आने दो । बेहोशी में बेहोश होने का क्या मोल !
-अब यदि आप चुप ना हुए तो सभी से मैं कह दूंगा की आप स्वयं को भगवान
कह रहे थे ।
-मैंने कहा ना कि तुम बेहोश हो । अरे मूढ़ ये बात मैं स्वयं ही शोशल मीडिया पर
कह रहा हूँ और तुम वही राग लगे जपने । जाओ अब हम तुम्हारा पान स्वीकार नही करेंगे ।
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#Mysterious_Prophecies
#Great_Prophecies_2024
नास्त्रेदमस ने अपनी भविष्यवाणी की किताब सेंचुरी में लिखा है कि
तीन ओर से सागर से घिरे द्वीप (हिन्दुस्तान देश) में उस महान संत का जन्म होगा उस समय तत्व ज्ञान के अभाव से अज्ञान अंधेरा होगा। नैतिकता का पतन होकर हाहाकार मचा होगा। वह शायरन (धार्मिक नेता) गुरुवर अर्थात् गुरुजी को वर (श्रेष्ठ) मान कर अपनी साधना करेगा तथा करवाएगा। वह धार्मिक नेता (तत्वदर्शी सन्त) अपने धर्म बल अर्थात् भक्ति की शक्ति से तथा तत्वज्ञान द्वारा सर्व राष्ट्रों को नतमस्तक करेगा। एशिया में उसे रोकना अर्थात् उस के प्रचार में बाधा करना पागलपन होगा। (शतक 1 श्लोक 50)
वह शायरन संत रामपाल जी महाराज जी हैं
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